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    Home » कामुक संध्या…

    कामुक संध्या…

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    By sexcostories on December 12, 2021 Sex Stories
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    मैं संध्या एक जवान खूबसूरत, गोरी, कामुक और मांसल बदन वाली युवती हूँ. मेरी स्टॅट 34-28-38 है. मुझे जो एक बार देखता है मूड के दुबारा देखता ही है चाहे मर्द हो या बुड्ढ़ा या कोई नया जवानी मे उतरा युवक. मुझ अपनी जवानी पर बड़ा नाज़ है और में जानती हूँ जो मेरी कामुक जवानी का रस पिएगा वो धन्य हो जाएगा.

    अब आपको मैं अपने बारे मे और बताऊ मैं कॉलेज गोयिंग गर्ल हूँ उमर 21 साल कद 5.6 इंच और बाल लंबे. कॉलेज मे सब लड़के मेरी जवानी पर मरते है और मैं सिर्फ़ अपनी क्लास के एक लड़के राजू पर मारती हूँ यह बात उसे भी पता है और क्लास की मेरी सभी सहेलियों स्वाती, मुस्कान, शालिनी, माटी, अदिति,महिमा, अवन्तिका और रिचा को जो मेरी ही क्लास और साथ की मेट्स है. कोई एक दो साल छ्होटी या बड़ी पर हमारा ग्रूप खूब मस्ती करता है और मज़े लेता है जिंदगी के. हम लड़कियाँ लड़को का काफ़ी मज़ाक उड़ती है और उनसे अपने उपर खर्च भी करवाती है. आख़िर क्यों ना हो वो लड़के हमारी जवानी को लूटने के लिए उतावले जो रहते है. राजू तो मेरी मस्त गोल गोल चुचि च्छुने को जैसे हर वक़्त तय्यार रहता है. यही हाल वो मेरी सहेलियों के साथ भी करता है पर उन्हे पहले अपनी आँखो आँखो से चोद्ना चाहता है शायद वो इंतज़ार मे है कब मैं उसे नीचे पूरी तरह आयुं और वो उसके बाद मेरी सहेलियों पर हाथ डाले.

    मैं अपनी एक सहेली स्वाती और अपने बारे मे पहले बतौँगी. मैं कुच्छ दीनो पहले ही स्वाती से मिली थी. स्वाती एक अति आधुनिक विचारों वाली सेक्सी कन्या थी जिसने मेरे भीतर भी फ्री सेक्स की भावना जगाई . आइए आपको स्वाती की जवानी से रूबरू कर्वादुन. गोरा रंग, मलाई सी त्वचा हाथ लगाने से ही मैली हो जाए, गोल मासूम चेहरे पर काले रेशमी बाल, लाल लाल गाल, मोटी मोटी नशीली आँखने, रस से भरे रसीले होंठ जिनको चूसने का सभी का मान करे आएईसी है मेरी सहेली स्वाती. आठेलेटिक्स की दीवानी कहती है की आठेलेटिक्स से शरीर टाइट और फिट रहता है. मैं सब समझती हूँ की शरीर के कौन से हिस्से के बारे मे बात करना चाहती है मेरी सहेली स्वाती. कुल मिला कर स्वाती की जवानी ताना टन और नया फ्रेश माल है पूरे कॉलेज मे. एक बार तो मुझे भी लगा की वो राजू को मेरे चंगुल से ले जाएगी. पर मेरी भी तूफ़ानी और कातिल जवानी का कोई जवाब नही है. कॉलेज का हर लड़का मेरा और स्वाती का समझ लो बराबर ही दीवाना था और मैं राजू पर मरती थी और स्वाती के लिए सभी लड़के बस एक मर्द है जो जब चाहे उसे काम मे लेले. उसका बस चले हो दिन रात सेक्स मे ही डूबी रहे.

    स्वाती के चिकने और कामुक जिस्म पर झांट का एक भी बाल नही था और उसकी छूट बिल्कुल कक़ची छूट थी. अभी तक लंड की आशिक़ स्वाती को लॉड बहुत देखने को मिले थे पर वो उन्हे गटक नही पाई थी और जब मेरी उससे दोस्ती बढ़ गयी थी उसने खुद बोला था की संध्या तेरी स्वाती अब तक अनचूडी चूत हैं. अभी तक उसकी चूत सिर्फ़ पानी से सराबोर हो जाती थी , पानी छ्चोड़ देती थी,पर लॉडा नही चूस पाई थी. वो मेरे से काफ़ी घुल मिल गयी मैने भी सोचा की लाओ स्वाती को मस्त जवानी का दर्शन करवा दूं मेरे कहने के अनुसार ही वो कभी कभी स्कर्ट के नीचे पनटी नही पहनती थी और कॉलेज मे आइसे आइसे पैर करके बैठती थी की लड़को को पता चल जाता था की स्वाती बिना पनटी के आई है और वो उसके उस दिन ज़्यादा आसिक़ हो जाते थे. हम लड़कियों के ग्रूप को इस्स बात मे ज़्यादा मज़ा आता था क्योंकि लड़को की पॅंट का तंबू हम लोगो को देखने मे मज़ा आता था. एक बार जब मेरे घर पे कोई नही था तो मैने स्वाती को अपने घर इन्वाइट किया और उससे पुचछा की क्या मेरे घर पे वो अपनी पहली चुदाई का मज़ा लेना चाहेगी तो स्वाती घबरा उठी. मैं भी समझ गयी लड़की नयी नयी जवान हुई है तोड़ा समय लगेगा और फिर जो मस्त चुड़दकड़ बनेगी उसका पूरा मोहल्ला स्वाती की चूत के नशे मे डूबा होगा. मैने उसे अपने घर बुलाया और टीवी पर एक नंगी फिल्म लगा दी सच मानिए आप लोग देसी और विदेशी नंगी फील देख के तो सवती का सर चकरा गया. वो बोली संध्या यह सब क्या सचमुच मे होता है. मैने भी उससे मज़े लेने के लिए बोला- खुल के बोलो स्वाती क्या कहना चाहती हो यहाँ तेरे मेरे सिवा कोई नही है.
    स्वाती- साध्या यही जो इस फिल्म मे है लंड चूसना और…
    साध्या- और क्या बोल तो ज़रा
    स्वाती- हाए रे मुझे शरम आती है
    संध्या- (स्वाती के गर्दन मे हाथ डालके) बोल ना मेरी रानी जितना खुल के बोलेगी उतना मस्ती लूटेगी
    स्वाती- यह चुदाई और गॅंड मे डलवाना
    संध्या- हाँ री स्वाती और मर्द लोग पूरा जिस्म भोगते है औरत का.

    संध्या ने फिर स्वाती को बताना शुरू लिया की किस तरह एक मर्द किसी भी औरत का जिस्म भोगता है.
    संध्या- स्वाती तूने कितने मर्दों को महसूस किया है
    स्वाती – क्या ंतलब
    संध्या- मेरा मतलब है किस किस उमर के मर्दों को अपनी मादक छति की और देखते हुए महसूस किया है
    स्वाती- (शर्मकार) लगभग हर उमर के 18 से 70 साल तक के अब क्या बोलू संध्या यह मेरे गोल गोल मस्त चुचे हर उमर के मर्द का लॉडा तनटना देते है और हर उमर का मर्द मेरी जवानी को भूखी नज़रों से देखता महसूस होता है. क्या बतौन घर से निकलते ही लगता है पूरा समाज मेरी जवानी का रस पीना चाहता है.
    संध्या- तुझे कैसा लगता है उस समय जब किसी मर्द की निगाहे तेरे जिस्म पर होती है.
    स्वाती- पहले तो कहराब लगता था. धीरे धीरे अटपटा लगने लगा पर अब आदि हो गया हूँ.सच कहूँ अब यदि कोई रास्ते मे मर्द नही मिलता है तो खराब लगता है की किसी ने स्वाती के जिस्म की गोलैईयों को देखा नही . घूरा नही, यह नही सोचा की काश यह मदमस्त चुचियाँ दबाने को मिल जाए.
    संध्या- देखा स्वाती यह मर्द सब इसी तरह जवान जिस्म का भोग करना चाहते है. 18 साल तक आते आते इनका लंड खड़ा होना शुरू हो जाता है और यह लोग जिंदगाई भर चूत का उपभोग करना चाहते है.
    स्वाती- तुझे कसिए मालूम?
    संध्या- मुझे राजू ने बताया, राजू मेरा लवर है उ नो ना.
    स्वाती- हाँ
    संध्या- तू जानना चाहेगी हम दोनो के बीच कैसी कैसी बातें होती है
    स्वाती ने हाँ मे सिर हिलाया.
    संध्या- पर उसके लिए तुजे कुच्छ करना होगा?
    स्वाती – क्या?
    संध्या- कुच्छ खास नही जानेमन. घर पे आज कोई नही है और मैं डोर बंद है आजा पूरी तरह नंगी होके मेरी बाहों मे और मेरी और राजू की कम कथा सुन और अपनी जिंदगी का मज़ा भी ले.
    स्वाती- मज़ा कैसे
    संध्या- अरी पागल न्नगी बाहों मे होगी तो तुझे झाडे बिना थोड़े ही छ्चोड़ दूँगी. चल वो सब छ्चोड़ और अपने मादक और मदमटे जिस्म को कपड़ो से आज़ाद कर दे. ले तेरी सुउधा के लिए पहले मैं न्नगी हो जाती हूँ फिर तुझे एक एक करके कपड़ो से आज़ाद करूँगी.
    इतना कहके संध्या ने अपने मस्त कामुक और चिकने जिस्म से सारे कपड़े उतार दिए. वियसे भी संध्या और स्वाती सिर्फ़ लोवर और त शर्ट मे ही तो थी. अपने आप को मदरजात नंगी करने के बाद संध्या स्वाती की ऊवार बड़ी और आयेज बदकार स्वाती के मदमटे जिस्म को बाहों के घेरे मे लेके बोली-
    आओ स्वाती आज मैं तुझे एक मर्द के लिए पूरा तय्यार कर दूं.
    स्वाती सब अचानक और पहली बार देखके समझ ही नही पा रही थी की संध्या को रोके या अपनी जवानी की जानकारी को पूरा होने दे. उसने कुच्छ भी नही कहाँ और अपने आप को संध्या के हाथो मे सौंप दिया. संध्या ने स्वाती के जिस्म को बाहों मे भरा और उसके रसीले होंठ पे होंठ रख के चूसने लगी और बोली- स्वाती तुझे गंदी बाते पसंद है
    स्वाती – हह. ……….ह्म… हाँ
    संध्या- ठीक है मैं तुझे सब खुलके बोलूँगी. एक बात है…..
    स्वाती- कककक्क्क्ययययययययाआआ….. आआआहह…….
    संध्या- तेरे होंठ बड़े रसीले है जो मर्द इन्हे चुसेगा तेरी चूत का दीवाना हो जाएगा. क्या तेरे नीचे के होंठ भी इतने ही रसभरे है.
    स्वाती- मुझे माही मालूम.
    संध्या- ठीक है मेरी बुलबुल आज तेरे सारे बुल(होंठ) मैं चूस के तुझे बतौँगी.
    कहके संध्या स्वाती के रसीले होंठ चूसने लगी. एक नंगी लड़की के साथ सेक्स की कल्पना स्वाती ने कभी नही की थी. उसकी पॅंटी मे चूत ने पानी का स्राव कर दिया. पूरी तरह चिपचिपा रही थी उसकी चिकनी चूत.
    संध्या ने स्वाती की त शर्ट के उपर ही उसके तोते पकड़ लिए. सी………….सी…….. आ………….. स्वाती के मूह से आवाज़ निकल पड़ी.
    संध्या- क्यों क्या हुआ मेरी बुलबुल.
    स्वाती- इतनी ज़ोर से ना दबा दर्द कर दिया तूने
    संध्या- मुझे तो रोक ले मेरी जान पर किसी मर्द को नही रोक पाएगी. तेरी छति पर उगे संतरे बड़े मस्त गोल और मुलायम है.
    स्वाती शर्मा जाती है इस अदा पर संध्या ने उसे अपनी बाहों मे फिर से जाकड़ लिया. धीरे धीरे संध्या ने स्वाती की टी शर्ट को उपर उठना शुरू किया. स्वाती चाहते हुए भी विरोध नही कर पे क्योंकि संध्या निपट नंगी थी तो स्वाती क्या ना नुकुर करती.
    संध्या-स्वाती तुझे पता है यह मर्द लोग हम लड़कियों का जिस्म अपनी पाँच इंद्रियों से भोगना चाहते है.
    स्वाती- कैसे प्ल्ज़ खुलके बोलो इशारे मे नही.
    संध्या- हाँ मेरी बुलबुल तुझे सब बटूँगी भी और करके ही दिखाऊंगी. आइसे ही कोई झूठ नही बोली मैं.
    यह कहते हुए संध्या मे स्वाती के जिस्म से त शर्ट उतार दी.
    संध्या- हाए रे कितनी चिकनी और गोल चुचि है तेरी. कसम से राजू देख ले तो चूसे बिना माने नही, राजू क्या कोई भी मर्द तुझे भोगेगा तो धान्या हो जाएगा.
    स्वाती- संध्या प्ल्ज़ मुझे शर्म आ रही है
    संध्या- अरे लड़की हूँ मैं कोई मर्द नही जो तेरी चूत मार लूँगी. मुझसे मत शर्मा नही तो जवानी के मज़े नही ले पाएगी.
    स्वाती अपने आप मे कसमसा कर रह गयी.

    सबसे पहले आप सबका धन्यवाद तथा अभिनन्दन।
    अपडेट पढ़े —-
    संध्या धीरे धीरे गर्म हो रही थी उसकी अपनी चूत भी पानी से भर रही थी उसने स्वाति के हाथ को पकड़ के अपनी चिकनी और गर्म जाँघों के बीच दबा दिया। स्वाति फिर सिसकार उठी।
    स्वाति-हाय सन्ध्या क्या कर रही हो यह क्या हो रहा है मेरे जिस्म के साथ?
    सन्ध्या- कुछ नही मेरी रानी आज जवानी का नंगा खेल होगा जो तुम और मैं दोनों मिलकर खेलेंगे और सोचेंगे कि काश कोई मर्द भी होता तो हम और तुम दोनों उसे भोगते और वो हम दोनों को बारी बारी से उपभोग करता
    स्वाति सन्ध्या की उत्तेजित सुन सुनके और स्वाति की गीली चूत और पानी में डुबती जा रही थी। सन्ध्या ने उसकी चूची दबायी और उसके कान के पास मुंह ले जाके बोली
    सन्ध्या- आओ स्वाति अब मैं तुझे मादरजात नंगी कर दूँ अपनी तरह, पुरी नंगी, बिना किसी कपड़े के, कोई पेंटी नही कोई ब्रा नहीं, आजा स्वाति मेरी जान, मेरी बुलबुल, मेरी कामुक कली आजा तेरी पंखुडियां मसल दूँ।
    स्वाति इन बातों को अपने ऊपर महसूस करती जा रही थी और सन्ध्या ने उसका लोअर भी उतार दिया। अब 18 साल की स्वाति सिर्फ एक पेंटी में 21 साल की सन्ध्या के सामने बेड पर थी। सन्ध्या ने उसे निहारा और उस पर टूट पड़ी। स्वाति से लिपट गयी और उसके होंठ चूसने लगी। अब स्वाती भी सन्ध्या का साथ दे रही थी . सन्ध्या इससे मन ही मन मुस्कुरा उठी वो समझ गयी की चिड़िया ने दाना चुग लिया है वो चुदाई के लिए तैयार है . संध्या जब भी कहेगी स्वाति किसी भी मर्द का लौड़ा अपनी चिकनी और मस्त चूत में ले लेगी.
    स्वाति- सन्ध्या वो इन्द्रियों से जिस्म भोगने की बात बताओ और यह भी कि राजु ने यह सब तुम्हे कब और क्यों बताया ?
    सन्ध्या- सब बताती हूँ मेरी जान पहले तेरी गीली पेंटी उतर दूँ देख तेरी चूत के पानी से पुरी भीग गयी है
    स्वाति- उत़ार दो सन्ध्या। काश कोई मर्द होता तो हम दोनों को एक साथ इस हालत में देख के अब तक अपने लौड़े से वीर्य की फुहार मार चुका होता
    सन्ध्या- सब होगा मेरी बुलबुल। तेरे नीचे वाले बुल को मर्द चूसेंगे और तू चूतड उठा उठा के चुदवायेगी। वो दिन भी आयेंगे मेरी कच्ची कली।
    इतना कहके सन्ध्या ने स्वाति के जिस्म से उसकी आखिरी शर्म भी उतार दी। अब स्वाति और सन्ध्या मादरजात नंगी होके एक दुसरे से लिपटी हुई थी. हाथ जिस्म पर फिर रहे थे और होंठ एक दुसरे की मादकता को चूम रहे थे
    स्वाति- सन्ध्या प्लीज़ मेंरी जवानी का सारा रस पी लो। बताओ न अब की लड़के अपनी इन्द्रियों से कैसे हम लडकियों के जिस्म को भोगते है.

    आज इतना ही। इन्द्रियों से भोग आपके कमेंट्स के बाद।

    संध्या – अच्छा सुन यह मर्द लोग हम लड़कियों को अपनी पाँचों इन्द्रियों से कैसे भोगते हैं यह बात मुझे मेरे बीएफ राजू ने बताई थी जब मैंने अपनी बुर की कसम दी तब उसने बोला
    स्वाति-हाय री तो तू उससे चुद चुकी है
    संध्या-हाँ स्वाति राजू ने संध्या की चूत को जमके चोदा है पर वो किस्सा बाद में बताउंगी की कब और कहाँ पे चोदा उसने संध्या को। पहले यह सुन
    स्वाति- हाँ बताओ
    संध्या-पहले मर्द अपनी आँखों से लड़की के जवान जिस्म का भोग लगते है। वो लड़की के एक एक उभार को अपनी कामुक नज़र से मसलता है। जैसे उसके होंठ, उसकी चुचियाँ, उसके गोल गोल चूतड,उसकी चिकनी कमर, उसकी मांसल बाहें , उसकी गुदाज जांघें, उसके चहरे की चिकनाई , किसी अंग पे विज़िबल तिल वगेरह वगैरह .मर्द सब जगह को देख के सोचता है की काश इसके हर अनंग पे लुंड रगड़ने का मौका मिले तो मज़ा लेलूँ . इस तरह एक मर्द किसी नाज़ुक कलि के यौवन का रसपान अपनी कामुक आँखों से करता है।
    इसके बाद जब लड़की को अपनी बाहों में दबोचता है तो अपनी त्वचा से लड़की की त्वचा को रगड के शरीर से स्पर्श सुख का आनन्द लेने की कोशिश करता है। कई मर्द बिना चुदाइ के इस प्रक्रिया में अपने आप को झाड देते है
    स्वाति- हाय इतना गहरे से मैंने नहीं सोचा क्या मेरे साथ भी यह लड़के यही सोचते है और अपना वीर्य झाड़ते होंगे

    संध्या- हाँ री मेरी चिकनी और कामुक कली तू अभी तक अनचुदी है. तेरी चूत का बाजा बजाने को तो पूरी क्लास मे कोई भी लौंडा तय्यार हो जाएगा. कहे तो बात करूँ तेरी नथ उतरवाने की.
    स्वाती- ओह …………………….. प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़………… संध्या मैं बड़ा अलग फील कर रही हूँ प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़………
    संध्या- फिर मर्द लोग अपनी बाहों मे फँसी कली के यौवन को सूंघते है. लड़की के शरीर से निकलती खुशबू को महसूस करते है. इस प्रक्रिया मे वो उसके जिस्म को अपनी बाहों मे कस के पकड़ लेते है और लड़की की उभरी चुचियाँ, उसके क्लीवेज, उसकी गर्दन, उसके पेट, उसकी नाभि, उसक्के चूतड़, उसकी चूत एट्सेटरा एट्सेटरा की खुशबू को सूँघते है. इसके बाद मर्द लड़की की जवानी का अपने कानो से भोग करता है.
    स्वाती- वो कैसे
    संध्या- इतना सब होने के बाद लड़की मादकता मे डूब के मस्त हो जाती है. लड़की के मूह से निकली कामुक सिसकार, उसकी ना नुकुर, उसकी च्चटपटाहत, उसका इनकार, उसका इकरार सब लड़के के कानो मे पड़ते है तो वो और मस्त होके लड़की पर झपट्टा मार के उसकी आवाज़े तेज़ करने के कोशिश करता है और गर्म जिस्म एक दूसरे से लिपट के एक दूसरे का उपभोग करते है और इस प्रक्रिया मे लड़के लड़कियों का भोग ज़्यादा लगाते है. अब आती है बारी जीभ से जवानी का स्वाद लेने की तो स्वाती मेरी जान सुन अब लड़के नंगी हो चुकी लड़की की चूत को चाट के, उसकी तनी चुचियों को चूस के, उसके गर्म चूतड़ पे जीभ फिरा के, उसके रस भरे होंठो को ख़ाके, उसके पूरे जिस्म को चाट चाट के लड़की का अपनी पाँचवी इंद्रिय से भी भोग लगाते है.
    स्वाती- फिर क्या होता है
    संध्या- हाए मेरी कच्ची चूत. इतनी भी भोली मत बन इसके बाद शुरू होती है चुदाई. जिसमे लड़का लड़की की बुर मारके उसे औरत बना देता है. तुझे चूदना है तो बोल तेरी चुदाई करावाऊं क्या.
    स्वाती-वो बाद मे संध्या पहले अभी जो गर्मी चढ़ रही है उसका समाधान करो.
    संध्या- आओ स्वाती आज हम दो लड़कियाँ मिल के यौवन का नया खेल खेले जिसमे बिना मर्द के हमे संतुष्टि मिले.
    इतना कहके संध्या ने स्वाती को चूसना शुरू किया और उसकी चूत पर हाथ ले जाके उसे ज़ोर से दबा दिया.

    संध्या-स्वाती अब मैं तेरे साथ डर्टी वर्ड्स उसे करके खेल करूँगी.
    स्वाती- जो भी करना हो करो संध्या प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़………आआआआआअहह
    संध्या-साली बड़ी गर्मी चढ़ गयी तेरी चूत कोआओ इसका सारा नशा उतार दूं.
    स्वाती- कैसे
    संध्या- क्या तू गाजर मूली काम मे लाती है
    स्वाती –नही सिर्फ़ उंगली
    संध्या- आज उंगली के साथ साथ मूली भी मिलेगी रुक मैं लाती हूँ.
    साध्या नंगी ही किचन की ओर बड़ी और दो मस्त चिकनी मोटी मूली लेके आई.
    स्वाती-अरे संध्या यह मूली बड़ी मोटी है
    संध्या- तेरी चूत सब निगल लेगी देखती जा
    स्वाती- देखना कहीं मेरी चूत फट ना जाए.
    संध्या- रुक मैं एक और काम करती हूँ फिर स्वाती तुझे मर्दों वाला मज़ा आ जाएगा
    स्वाती- ऐसा क्या करेगी (हँसके) क्या तू मर्द बनेगी
    संध्या- रुक ना साली बड़ी उतावली हो रही है
    संध्या की बातों मे डर्टी पुट आ रहा था और वो सेक्स के मादक नशे मे डूब चुकी थी
    संध्या उठी और अपने मोम डैड के रूम मे गयी वहाँ से लौटी तो उसके हाथ मे डैड का अंडरवेर था. स्वाती की आँखें देख के फट गयी. वो अपने डैड के अंडरवेर का लौडे वाला हिस्सा चूस रही थी और अपने हाथों से ऐसे इशारे कर रही थी जैसे वो चुद रही हो.
    स्वाती- यह क्या संध्या अंकल का निक्कर
    संध्या- पुच्छ मत रानी मेरा उन पर क्रश है मेरा मन करता है वो मुझे नंगी करके चोद दे मेरे ही बेड पर
    स्वाती- हाए री तू कितनी चुद्ने को उतावली है क्यों ना राजू का लौडा लेले
    संध्या- उससे चुद चुकी हूँ जान बतावुँगी कब और कैसे पेला राजू ने तेरी कामुक संध्या को
    स्वाती- आजा अब मेरे को ठंडा कर मेरी चूत मे आग लग गयी है और तू भी तो सेक्स की शिकार हो रही है यह अंकल का निक्कर क्यों लाई क्या नया करेगी
    संध्या- इसे पहन के तेरे से सेक्स करूँगी तुझे लगेगा तेरे अंकल तुझे चोद रहे है
    स्वाती- संध्या प्ल्ज़
    संध्या- हाँ तुझे पता है की डैड तुझे भी चोद्ना चाहते है
    स्वाती- हाए रे ऐसा है क्या कितने बालिश्ट है वो मेरी तो हड्डी पीस देंगे
    संध्या- (हँसके) हड्डी के साथ तेरे नर्म उरोज और चिकनी चूत भी
    स्वाती- संध्या प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ मेरी जान मुझे अंकल की बात बताओ तुझे कैसे पता की वो मुझे चोद्ना चाहते है 18 साल की इस कमसिन चूत को
    संध्या- एक दिन मैं कॉलेज से जल्दी वापस आ गयी दोपहर के समय मैने सोचा मोम को डिस्टर्ब ना करूँ और अपने रूम मे जाके लेट जाती हूँ. अपने रूम की ओर बढ़ी तो मोम के रूम से आवाज़े आ रही थी. मैं संशय मे पड़ गयी की मोम के साथ कौन है. उनके रूम के पास गयी तो पाया की मोम और डैड सेक्स कर रहे है और चूँकि मैं घर पे नही थी इसलिए वो अपनी आवाज़े भी कंट्रोल नही कर रहे थे.
    आगे की कहानी संध्या के मोम(किरण) और डैड(किशोर) की ज़ुबानी-

    किशोर- हाए किरण आज कई दिनो बाद मौका मिला है तेरी चूत को दिन मे चोद्ने का
    किरण- क्या बोलते हो रोज़ ही तो मेरी पेंटी उतार के इसका मज़ा लूटते रहते हो रात रात भर
    किशोर- किरण तेरी चूत ही है ऐसी की हर वक़्त मन करता है इसको चोद दूं. सच बोलू तो यह आज भी किसी 18 साल की कुँवारी चूत जैसे ही टाइट और चिकनी है
    किरण- तो आज किसका नाम लेके मेरी चूत मरने का इरादा है.
    संध्या बाहर खड़ी सोचती है यह नाम लेके चूत मरने का मतलब क्या है. वो फिर आगे सुनना चाहती है और वहीं रुक जाती है
    किशोर- वो संध्या
    किरण- क्या संध्या, अपनी बेटी की चूत
    किशोर- पूरा सुन ना साली वो संध्या की नयी सहेली है ना स्वाती 18 साल की गोरी चिकनी और मस्त माल
    किरण- हाए रे उस पे दिल आया मेरे मर्द का आजा मेरी चूत को आज स्वाती मान के प्यार कर. आओ अपनी स्वाती के होंठ चूम लो मेरे राजा
    किशोर- आओ किरण आज मैं अपनी स्वाती के नर्म होंठों को चूम लूँ. स्वाती के मूह मे पानी आ चुका है मेरी जान देख स्वाती साली रंडी कुतिया तेरे यार का लौडा तन चुका है इसे प्यार करो मेरी चिकनी स्वाती.
    किरण- (अपनी चूत पे हाथ फिरते हुए) आओ अंकल आओ अपनी स्वाती को सहलाओ, इसके होंठ चूस लो, देखो इसके मूह मे पानी आ गया मेरे अंकल, इसकी चीख निकल दो, आओ मेरे कामुक अंकल, आओ स्वाती की 18 साल की मस्त, ताज़ी, मादक और कच्ची जवानी को चूस लो, अपने दाँतों से उधेड़ दो स्वाती को, अपने मूसल लौडे का प्यार दो.
    किशोर-(झुकके) आहा स्वाती बड़ी मीठी है तू. अगर मेरे पास होती तो तुझे असली मे नंगी करके तेरी आंटी के सामने चोद्ता. स्वाती तेरे नर्म उरोज दबोच के चीख निकल देता. तेरी नर्म चूत मे लौडा डाल के तेरी नथ उतार देता. साली बड़ी तमन्ना है तेरे जिस्म का भोग करने की.
    इतना कहके किशोर ने किरण की चूत पर मूह लगाया और उसे स्वाती की चिकनी मादक मस्त अनचुदी चूत मान के लपर लपर चूसने लगा. इधर संध्या का बुरा हाल हो चुका था एक तो मोम डैड की चुदाई और दूसरा डैड का स्वाती के बारे मे क्रश सोचके. उसकी चूत ने पानी छोड़ने की तैयारी करली. उससे रहा नही गया संध्या ने अपनी उंगली अपनी स्कर्ट मे डाल के पेंटी एक साइड की और चूत रानी को उंगली का मस्त सहलाव करना शुरू किया. उधर किशोर मस्त किरण की चूत को स्वाती की नर्म बुर का ख़याल करके चूस रहा था.संध्या ने सोचा वो मोम से एक ना एक दिन पुछेगी ज़रूर की इस खेल का राज़ क्या है. डैड उसे और स्वाती को क्यों चोद्ना चाहते है.फिलहाल तो उसने उनको डिस्टर्ब ना करने का फ़ैसला किया.उसे सिर्फ़ अपने डैड मोम की आवाज़े सुनाई दे रही थी वो कुछ देख नही पा रही थी. उसका मन तो कर रहा था की वो देखे उसकी मोम स्वाती बनके कैसी लगती है और उसके डैड स्वाती को चोद के कैसा सुकून पा रहे है.
    किशोर- स्वाती आहा बड़ी रसीली है तू. आजा मेरा लौडा चूम आजा स्वाती
    किरण- हाँ मेरे अंकल मैं तेरे लौडे को चूस के तुझे प्यार करूँगी
    किशोर- साली स्वाती तुझे मस्त चोदुन्गा आज
    किरण- चोद्ना मेरे मर्द मेरी छाती दबोच के मेरी नथ उतरो आज पहली बार चूदुन्गी कुँवारी चूत है. अब मेरी चूत मारो अंकल
    किशोर- हाँ स्वाती आओ तेरी चूत मे अपना टनटनाता लौडा पेलुँगा पहले इस लौडे को चूस साली कुतिया
    किरण- हाँ अंकल स्वाती के मूह मे पेलो लौडा
    किशोर- आके इसे हाथों से पकड़ के मूठ मरते हुए मूह मे डाल रंडी की औलाद
    किरण- अभी करती हूँ अंकल हाय आप बहुत मस्त मर्द हो
    किशोर- कितने मर्दो को झेला है तूने
    किरण- एक भी नही अनचूडी बुर है स्वाती की अंकल
    किशोर- आज तेरी नथ उतार के स्वाती तुझे लड़की से औरत बना दूँगा
    किरण- बनाओ मैं तो लंड मैं इंतज़ार मे हूँ. मैं चुदासी चूत हूँ तेरी अपनी रंडी.
    किशोर ने लौडे को स्वाती के मूह मे पेल दिया और बोला
    किशोर-स्वाती चूस अपने अंकल का लंड… और गीला करके चूस
    किरण- चुस्ती हूँ मेरे राजा आआआआहह……………. बड़ा मस्त गर्म है
    किशोर- साली आज तेरी चूत को चूस चूस के चोदुन्गा
    किरण- चूसो मेरी चूत आओ अंकल अपनी स्वाती की चूत चाट
    किशोरे ने 69 होके किरण के चूत को चूसना शुरू किया

    किशोर- स्वाती आओ मेरी जान अपनी चूत मेरे मूह पे रख दो. देख तेरे अंकल का लंड कितना मस्त हो चला है
    किरण- हाँ अंकल आपका लौडा बड़ा मस्त है आंटी तो इससे चुद के मस्त हो जाती होगी मेरे चोदु अंकल
    किशोर-आंटी की छोड़ अपनी चूत की बात कर मेरी कच्ची कली स्वाती तेरी चूत बड़ी चिकनी है
    किरण- मेरी चूत अभी बुर है अंकल
    किशोर-मतलब
    किरण- अनचुडी हूँ आप मेरे पहले लौडे होंगे बताया था ना मैने
    किशोर- हां आजा स्वाती नंगी तो तू है ही नंगी ही आगे बढ़के अपने मर्द अंकल के लौडे की सैर कर
    किरण- लो अंकल स्वाती की नर्म उरोज मसल दो उसे उसकी जवान छाती पकड़ के छोड़ो उसकी चुची के निपल नोंच के खेलो स्वाती से
    किशोर- साली स्वाती तू बड़ा नर्म गोस्त है तुझे मज़े ले ले के खाऊंगा, तेरे सिने पर उगे अमरुदों से खेलूँगा फिर तेरी मस्त नाभि मे लौडे का सुपाड़ा डालूँगा जब तू खिलखिलाएगी तेरे होंठ का रस पियुंगा और तेरी जीभ चुसूंगा तेरी गोरी चिकनी मक्खन सी बुर मारूँगा स्वाती मेरी चुदासी बुर.
    किरण- हाए रे लौडा बहुत टनटना गया है अंकल इससे आज अपनी स्वाती की बुर की नथ उतार दो
    किशोर- आओ स्वाती मेरे लौडे से खेलो
    किरण- (लंड को मूह से सहलाते हुए) हाए अंकल कैसा लग रहा है स्वाती के साथ
    किशोर-मस्त लग रहा है तू एक नंगी अप्सरा है और मैं उसे चोद रहा हूँ और खेल मेरे लौडे से
    किरण- देखो झड़ मत जाना अंकल
    किशोर- तू चिंता मत कर तेरी अनचूडी बुर् चोदे बिना नही झडुन्गा. तू मेरा वीर्य पिएगी
    किरण- हाँ अंकल यह तो अमृतपान है
    किशोर-हाँ स्वाती मर्दो का वीर्य लड़कियों का अमृत है उनकी जवानी मे ताज़गी भरी रहती है
    आओ मेरे लौडे को चूसो झड़ गया तो फिर खड़ा करके चोद दूँगा………
    इधर संध्या की चूत पूरी तरह पानी छोड़ चुकी थी वो स्वाती और डैड के बीच की बाते सुनके हैरत मे थी की उसकी मोम स्वाती का रोल कर रही है और उसका डैड उसकी नयी सहेली की चूत के दीवाने थे. क्या वो उसकी चूत भी………….. छि……….शायद ज़्यादा सोच गयी थी.
    किरण-अंकल एक बात बोलू
    किशोर- पूछ ना पहले तू मुझे एक बात बता
    किरण-क्या अंकल
    क़ीःसोर-स्वाती तू मेरी नंगी रंडी है ना
    किरण- आपके सामने मदरजात नंगी होके चुद्ने को तय्यार हूँ और क्या बोलू, हाँ हूँ आपकी पर्सनल रंडी जब बोलोगे तब चुड़ूंगी जिससे बोलॉगे उसका लौडा ले लूँगी अपनी बुर मे
    किशोर- तू पूछ क्या पूछ रही थी
    किरण-अंकल क्या आप संध्या को भी पेल चुके हो
    संध्या ने डैड के इस उत्तर को सुनने को कान अड़ा दिए क्या किशोरे संध्या की भी चूत का प्यासा है ………………………..
    किशोर- हाँ मैं उसकी चूत भी मार चुका हूँ.
    संध्या का दिमाग़ सन्नाटा खा गया. तो डैड का उस पर क्रश है वो उसके भी दीवाने है. पर मोम कैसे इसे मानती है यह तो वो पूछ के रहेगी. स्वाती तक तो ठीक था पर उसके बारे मे भी सेम सोच इस बारे मे मोम से बात करनी ही होगी.
    किशोर- आओ स्वाती अपनी बुर मेरे लौडे पे रख दो
    किरण- लो अंकल चोदो अपनी स्वाती को
    किशोर- आआआआआहह बड़ी गर्म है तेरी नर्म बुर
    किरण- आआआआआआआवउुुुुुुुुुुुुुुुउउ अंकल आपका लौडा बड़ा गर्म और मोटा है
    किशोर- स्वाती सब्र कर पूरा मज़ा आएगा तेरे को मेरी जान मेरी कामुक कुतिया
    किरण-अंकल प्ल्ज़ बाहर निकालो मेरी बुर दर्द कर रही है मुझे नही चूद्ना आप संध्या , मुस्कान, रिचा को चोद के काम चलाओ
    हाए रे संध्या ने बाहर खड़े खड़े सोचा उसके डैड उसके स्वाती के साथ साथ रिचा और मुस्कान की भी सवारी कर चुके है
    किशोर- रुक साली कहाँ जाएगी आज तेरी नथ उतरूँगा जैसे रिचा मुस्कान संध्या की उतरी थी तेरी आंटी भी अनचुदी मिली थी
    किरण- अंकल स्वाती की बुर बहुत छोटी है फट जाएगी
    किशोर-इसी फटने मे चुदाई का मज़ा है. इतना कहके उसने लौडे का ज़ोर लगाया
    किरण- आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ
    आहह मार गयी बचाओ कोई इस लौडे से साले ने बुर चिर दी
    किशोर- स्वाती और चिल्ला आज तेरी नथ उतरने को मैं अकेला हूँ कल पूरे मोहल्ले वाले चोदेन्गे
    किरण-क्यों
    किशोर- यहीं यहाँ का नियम है मोहल्ले की हर चूदी चूत को सब मिल बाँट के खाते है
    किरण- तभी मैं कहूँ अंकल कोई दीदी की शादी होती है तो आप सब क्यों खुश होते हो क्योंकि वो आप सब से चुद्ति है
    किशोर-हाँ स्वाती अब अगर मैने किसी को बोल दिया की तेरी नथ उतार गयी है तो तू मोहल्ले की रानी, रंडी बन जाएगी, बोल, बोल दूं या चुपचाप चुदेगि मुझसे
    किरण – प्ल्ज़ अंकल सिर्फ़ आप चोदो मुझे अभी इस छोटी उमर मे रंडी नही बनना पहले मेरा पति मुझे चोद ले फिर जिसका मर्ज़ी लौडा लूँ कोई ऐतराज़ नही
    किशोर- फिर आजा मेरे लौडे को मस्त कर और अपनी चूत मरवा
    इसके बाद किशोरे ने किरण की छूट को स्वाती की चूत समझ के चोदा परंतु हमारी कहानी संध्या के साथ चलती है इसलिए हम वापस लौटते है. यहाँ संध्या के मूह से उसके डैड द्वारा अपनी फॅंटॅस्टिक चुदाई की बाते सुन के स्वाती का मूह खुला का खुला रह गया. वो शर्म से लाल पड़ गयी और उसने संध्या के मूह पर हथेली रखके बोला
    स्वाती-संध्या प्ल्ज़ और मत सुना नही सुना जाता की अंकल मेरी चट रोज़ मारते है और अपना वीर्य मेरी चूत मे छोड़ते है
    संध्या- उनका बस चले तो मेरे को भी चोद दे
    स्वाती- हाए इतना तुझे कैसे यकीन है यहाँ तो तू उनका निक्कर का लंड वाला हिस्सा चूस रही है इससे लगता है तू खुद उनसे चूद्ना चाहती है

    संध्या- तूने अभी मेरी और मोम की बातें कहाँ सुनी है वो पता चले तो तू जान जाएगी कौन चूद्ना चाहता है और कौन चोद्ना वैसे भी मेरी कच्ची चूत तुझे एक बार लौडे का चस्का लग जाए तो तू रंडी बन जाएगी चुदाई के पीछे पागल हो जाएगी, अपने यार का लंड पकड़ पकड़ के उससे बोलेगी चोद दे.
    स्वाती- अरी मरी कैसे कैसे गंदे शब्द यूज़ करती है तू चल हट
    संध्या- स्वाती मेरी जान नंगी है मेरे आगे और गीली भी क्यों नखरे करती है आजा तुझे मर्द की तरह चोद दूं
    स्वाती-क्या करेगी तू मेरी चूत की गर्मी उतारने को
    संध्या- देखती जा क्या क्या करती हूँ मैं
    संध्या मे आगे बड़के अपने डैड के निक्कर का लंड वाला गीला हिस्सा स्वाती की ओर बढ़ा दिया
    संध्या- ले चूस इसे देख मेरे दाद का लंड कैसी खुश्बू देता है
    स्वाती- मुझसे नही होगा वो अंकल है मेरे
    संध्या- मेरे तो डैड है जब मैं नही हिचक रही तो तू क्यों ऐसा करती है देख इस पर उन्होने अपना वीर्य भी लिपटा रखा है
    स्वाती ने निक्कर पर एक सफेद सी लाइन पड़ी देखी. वो वीर्य का सुखी पार्ट थी. संध्या उस पार्ट का कुच्छ हिस्सा गीला करके साफ कर चुकी थी. बाकी हिस्से के लिए उसने निक्कर स्वाती को दे दिया. स्वाती ने और विरोध किए बिना संध्या का साथ दिया और दोनो सहेलियों ने निक्कर पर से सूखा वीर्य साफ कर दिया.
    स्वाती- संध्या अंकल को पता चल गया तो
    संध्या- यही तो चाहती हूँ ताकि मैं वो और गर्म होके और वीर्यपात करेंगे और तुझे उनका और वीर्य मिलेगा. हो सकता है वो उत्तेजित होके एक दिन तुझे सच मे चोद दे.
    स्वाती-चल हट ऐसा कभी नही होगा
    पर उसका मन कर रहा था की ऐसा जल्द ही हो जाए और वो मोटे असली लौडे से चुद जाए. इधर संध्या ने मूली को पकड़ के चूसना शुरू किया
    स्वाती- अब इस मूली से क्या करोगी
    संध्या- यह मूली तेरी और मेरी चूत की गर्मी उतरेगी
    स्वाती- संध्या नही यह बहुत मोटी है मैं आज तक सिर्फ़ उंगलियों से करती आई हूँ
    संध्या- मेरी जान एक ना एक दिन तो लंड भी लेगी क्यों ना उसीकि प्रॅक्टीस करले.

    कहानी का अगला छोटा सा हिस्सा और फिर एक ब्रेक लूँगी 5 दिन का

    स्वाती-प्यार से डालना जैसे अंकल चोद्ना चाहते हो वैसे ही
    संध्या-अरे डैड की स्टाइल से चुदेगी तो तेरी बुर् फट जाएगी
    स्वाती-क्यों
    संध्या-वो ज़ोर से धक्का मार के पूरी मूली एक बार मे चूत मे पेल देंगे
    स्वाती-हाए री ऐसा क्या वो इतने उतावले है मेरी बुर चोद्ने को
    संध्या- हाँ री मैने उस रात के बारे मे मोम से बात की थी तू वो सुनेगी तो तेरी गान्ड फट जाएगी. तू खुद सोच एक औरत अपने मर्द को खुद नयी नयी लड़की बनके चुदाई का स्वाद दे और वो भी राज़ी राज़ी क्या यह हो सकता है तू अपने मर्द को किसी और से या मेरे से शेयर करेगी बिस्तर पर?
    स्वाती- पर वो तो सिर्फ़ सोच रहे थे कौन सा अंकल ने मेरी या तेरी या रिचा, मुस्कान की चूत असली मे मारी
    संध्या-मेरी जान जब मर्द नंगा होके अपना लौडा हाथ मे लेता है और फिर जिस चूत का नाम लेके उसे चोद्ने की बात करता है तो समझ ले उसी चूत के नज़ारे उसकी आँखों के आगे होते है और वो भूल जाता है कि उसके बिस्तेर मे कौन नंगी लेटी है वो उसकी बीवी है या कोई रांड़ बस जिसके बारे मे सोचा उसकी गीली चूत की कल्पना करके उसके ख़यालों मे उसे चोद दिया चाहे वो तू हो या रिचा या मैं
    स्वाती-ऐसा क्या मैं तो इस बारे मे ज़्यादा जानती नही
    संध्या- तू समझ ले अब जब भी तू डैड के सामने होगी वो तुझे आँखों ही आँखों मे चोद रहे होंगे भले मूह से स्वाती बेटी स्वाती बेटी बोलते रहे पर मन मे यही होगा की स्वाती नंगी मिल जाए तो चोद दूं या आज स्वाती को नंगी करके इसके कपड़े फाड़ के चूत मार लूँ और अपनी फॅंटेसी पूरी कर लूँ
    स्वाती- हाए रे तब तो मैं तेरे घर अंकल के सामने कैसे आऊँगी?
    संध्या-वैसे जैसे मैं आती जाती हूँ तू सोच डैड तो मेरे को भी चोद्ते है अपनी उस कामुक फॅंटेसी मे, मैं क्या वो नाज़ुक कली मुस्कान, वो रसीली रिचा, तू चिकनी स्वाती, वो नर्म अवन्तिका, वो मादक शालिनी, वो गर्म अदिति, वो मस्त माती, वो छुदासी महिमा या मैं कामुक संध्या, सब उनके लौडे के नीचे आ चुके है रात मे.
    स्वाती-हाए रे अंकल बड़े मस्त है पर यह बता तू कैसे उनके सामने आती जाती है दिन मे
    संध्या- मेरी मस्त कली मैं यह सोच के गीली हो जाती हूँ की घर मे ही एक मस्त मर्द मुझे दिन रात चोद्ने के सपने लेता है और उसके सामने मैं कुछ भी पहनु वो मेरी नंगी तस्वीर आँखों मे बिठा लेता है. मैं डैड के सामने अपने आप को हमेशा नंगा महसूस करती हूँ. इसलिए मुझे हिचक नही होती की वो मेरा कौनसा कामुक आंग घूर रहे है. बस उनका ताना लौडा महसूस होता है तो जान जाती हूँ की वो ख़यालों मे मेरी जवानी का भोग लगा रहे है.
    स्वाती- तो तेरा कहना है की जब भी तेरे डैड मुझे देखेंगे वो मुझे नंगी सोचेंगे चोद्ने वाली निगाह से देखेंगे.
    संध्या- हाँ री इसलिए बोल रही हूँ तू फ़िक्र छोड पूरा एंजाय कर लाइफ को, हो जाने दे जो होता है. चाहे डैड चोदे या कोई और मर्द तुझे अपनी चिकनी चूत किसी ना किसी को देनी ही है ना या साबूत बचा के वापस ले जाएगी भगवान के पास
    स्वाती- अरी नही रे साबुत कैसे रहेगी कोई ना कोई इसकी मस्ती लूट ही लेगा मेरी चिकनी चूत को कई लंड मिलेंगे तो देखती जा
    संध्या- आजा मैं तेरी चूत मे मूली डाल के तुझे लंड वाला मस्त मज़ा दूं
    स्वाती- एक बात बता
    संध्या- बोल
    स्वाती- तेरी मों से बात हुई उस बारे मे
    संध्या-किस बारे मे साफ साफ बोल इशारे छोड़
    स्वाती- वोही अंकल के साथ नयी नयी लड़कियों का रूप लेके चुदाई करवाने के बारे मे. वो ऐसा क्यों करती है और अंकल क्या हम सबको वाकई मे चोद्ना चाहते है या सिर्फ़ सोच है
    संध्या- हाँ मैने मों से बात की थी अभी सुनना चाहेगी या पहले तेरी चूत मे मूली उतार दूं, आजा मेरी चूत भी तो गर्म हो रही है. पहले क्या सुनेगी राजू ने मुझे कैसे चोदा या मोम स्वाती बनके क्यों राज़ी राज़ी चुदी.
    प्ल्ज़ आप लोग गाइड करो स्वाती क्या जवाब दे अगला अपडेट आपके जवाब के बाद

    संध्या-स्वाती आजा तेरी नरम चूत मे पहले मैं मूली उतार दूं फिर बताऊँगी की मोम स्वाती बनके क्यों डैड से राज़ी राज़ी होके चुद रही थी
    स्वाती- संध्या मैं बैचैन हूँ मेरी नज़र मे आंटी एक नया अनोखा काम कर रही थी क्योंकि तेरे हिसाब से कोई भी औरत ऐसा नही कर सकती कि उसका पति उसके सामने किसी और को चोदे और यहाँ तो खुद ही कोई और गरम चूत बनके पति के लौडे से चूद्ना वाकई आश्चर्य की बात है
    संध्या- चल इस बात को छोड़ आ मेरी चिकनी स्वाती मैं आज नये तरीके से तेरी चूत का मज़ा लूटती हूँ
    स्वाती-कैसे
    संध्या- मैं इस मूली का 4 इंच का भाग अपनी कामुक चूत मे डालूंगी और बचे हुए 5 इंच को तेरी चिकनी चूत मे देखना तुझे ऐसा लगेगा जैसे कोई मर्द तुझे चोद रहा है.
    स्वाती-संध्या मैं तेरी हर बात मनुगी बस तू मुझे प्यार से भोग ले. मेरी कमसिन चूत का नंगा नाच तेरे आगे करूँगी. मैं तेरे बिस्तर पर नंगी बिच्छने को तय्यार हूँ.
    संध्या- तू मेरे आगे नंगी लेटी है एक कुतिया की तरह अब तुझे चोदून्गि. पूरा मज़ा लूँगी तेरी जवानी से
    स्वाती- हाए संध्या बस बोल मत अपने इस अनमोल और अनोखे लौडे को मेरी मदमाती चूत मे उतार दे
    संध्या- ऐसे नही रानी इसको चूस पहले इसे लौडे की तरह महसूस कर सिसकारी मारक आवाज़े निकाल मुझे उकसा कि मैं भड़क के तेरी बुर मे एक बार मे पूरी मूली उतार के तेरी नथ उतार दूं
    स्वाती- संध्या आजा मेरी जान देख तेरे सामने तेरी स्वाती बिल्कुल ननन्गी लेटी है और देख मैं अपनी चिकनी चूत सहला रही हूँ मेरी चूत से निकलता पानी भी तुझे बुला रहा है मेरी चूत चूस ले और मेरी चूत को अपने मादक लौडे से चिर दे मेरी जान देख मैं अपनी नथ उतरवाने को बेताब हूँ
    संध्या- तो जिससे कहूँगी उसका लौडा चुसेगी बोल कुतिया
    स्वाती- हाँ संध्या मैं हर एक से चूत मरवाने को राज़ी हूँ
    संध्या- सोच ले हो सकता है तेरे घर के ड्राइवर से तेरी चूत मरवा दूं
    सवती – हाँ संध्या तू जिससे बोलेगी उसके आगे नंगी होके लेट जाऊंगी. चुद लूँगी मेरी जान मेरी चूत की गर्मी उतार दे. चोद दे मेरी जान संध्या तुझे तेरे राजू के लौडे की कसम
    संध्या-अब मेरे यार राजू की कसम खाई है तो तेरी चूत मारती हूँ वरना अभी एक घंटा और तेरी चूत को तड़पाती फिर चोद्ति
    संध्या ने इतना कहके मूली का 4 इंच हिस्सा अपनी कामुक चूत मे घुसेड लिया और सफेद लॅंड की तरह दिखती हुई मूली का बाकी 5 इंच के हिस्से का अगला भाग स्वाती की चूत के उपर टीका दिया.
    स्वाती- अहह धीरे से मेरी जान मैने पहले भी कहा है मैं अभी कच्ची चूत हूँ
    संध्या- कोई बात नही मेरी रानी आज रात को तेरे को सब से मस्त रंडी बना दूँगी
    स्वाती- हाए संध्या तू आइसा कैसे बोल लेती है मैं तो यह सब सोच भी नही पाती
    संध्या धीरे धीरे मूली को स्वाती की चिकनी लसलसाई चूत मे उतरते हुए बोलती है
    संध्या- मेरी जान जब तुझे कई कई मर्द चोदेन्गे और गंदी गंदी बाते बोलने को बोलेनेगे तो तू सब सिख जाएगी ऐसा नही है मैं कोई शुरू से ही यह सब बोलना नही सीखी मुझे भी इस समाज ने मस्त छुदासी बना दिया है
    स्वाती और संध्या ने अब मूली को लंड समझ कर उसका उपयोग करना शुरू किया. संध्या मे स्वाती के दोनो नंगे संतरे पकड़ लिए और उनको दबा दबाके रस निकालने लगी. इधर स्वाती भी मस्ती मे आ गयी उसने संध्या के तोड़ अनार अपनी मुट्ठी मे दबोच लिए और चूतड़ हिला हिला के मर्द की तरह धक्के लगाने लगी काफ़ी देर तक स्वाती और संध्या का यह खेल चलता रहा. संध्या को महसूस होने लगा की अब और साथ देना मुश्किल है तो उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और स्वाती की चूत को ज़ोर ज़ोर से चोद्ने लगी. स्वाती का बदन भी ऐंठ गया उसने संध्या को जकड लिया और संध्या के साथ साथ स्वाती को भी ऑर्गॅज़म मिलने लगा.
    स्वाती- हाए री संध्या मेरी चूत को यह क्या हो रहा है कुच्छ बारिश का सा अनुभव
    संध्या- होने दे स्वाती यह चूत की झडान है जो मर्द से चूद्ने पर और किसी लड़की के कामुक साथ मिलने पर मिलती है होने दे यह सुखद अनुभूति. और संध्या ने स्वाती के नर्म उरोजो मे मुँह घुसेड दिया और दोनो सहेलियाँ रति क्रिया का आत्मसुख पाने लगी. जब स्वाती की साँस मे साँस आई तो उसने कहा
    स्वाती – संध्या अब बता तेरी मोम डैड से स्वाती बनके राज़ी राज़ी क्यों चुद रही थी
    संध्या- स्वाती मेरी जान मैने मोम से उस रात के बाद अपनी इंटिमेसी बढ़ा दी. धीरे धीरे उनको अपनी चूत खोल के कभी यह कहती इसमे खुजली है कभी यह कहती यह अंदर से सिकुड फूल रही है ताकि मोम मुझसे मर्दो के साथ सेक्स की बाते करे और मैं उस रात का राज़ जान सकूँ. धीरे धीरे एक महीना गुजर गया फिर वो लम्हा आ ही गया जब मैने मोम से उस रात के बारे मे पूछा इसे तू मोम और मेरी कहानी उन्ही के शब्दों मे समझ के सुन.

    किरण-संध्या इधर आना ज़रा
    संध्या- क्या है मोम आती हूँ
    किरण- कल तू बोल रही थी की तेरी पॅंटी मे खराश पड़ गयी है ला मुझे दिखा
    संध्या- मोम देखो ना मेरी पॅंटी मे हमेशा गीलापन भी रहता है
    संध्या ने एक सेकेंड मे ही किरण के आगे ड्रॉयिंग रूम मे ही अपनी स्कर्ट खोल के पॅंटी नीचे सरका दी.
    किरण- इतनी बड़ी हो गयी है अभी भी बच्चो की तरह मेरे सामने नंगी हो गयी चल रूम मे कोई और होता तो यहाँ पे तो
    संध्या- तो क्या होता मोम
    किरण- चल रूम मे सब समझाती हूँ
    किरण ने अधनंगी संध्या का हाथ पकड़ा और उसे रूम की तरफ ले गयी और बोली की वो एक मिनिट मे मैं डोर बंद करके आती है. इधर संध्या ने तब तक अपने सारे कपड़े खोल दिए और मदरजात नंगी हो गयी उसका प्लान था की वो आज किरण से पूछेगी की वो रातों मे स्वाती, अदिति, मेरी, शालिनी, रिचा. अवन्तिका या संध्या बनके क्यों चुद्वाती है. किरण रूम मे आती है और संध्या को पूरी तरह से नंगी देखती है. उसकी चूत मे भी पानी की लहर आ जाती है वो सोचती है की काश संध्या उसे कामसुख दे तो कितना अच्छा होगा.
    किरण- यह क्या संध्या तू तो पूरी नंगी हो गयी सिर्फ़ तेरी चूत को ही तो देखना था मुझे
    संध्या- मों मेरी चूत के साथ साथ मेरी चुची भी दर्द करती है टीस मारती है देखो मोम कुच्छ हो तो नही गया मेरी चुची को यह दोनो बड़ी जकड़न का अहसास करती है
    इतना कहके संध्या ने अपनी ठोस और चिकनी चुची दबोच ली. किरण की चूत मे पानी की और लहरें दौड़ने लगी उसने अपनी जांघे आपस मे सटा ली ताकि चूत मे भरा हुए पानी का रिसाव ना होने लगे. परंतु पानी कहाँ ठहरता वो उसकी चूत का बाँध तोड़कर उसके घुटनो की तरफ़ बढ़ने लगा. मस्ती की वजह से किरण की आँखे बोझिल हो गयी यही हाल संध्या का भी था. उसकी गोरी चूत पानी से भर गयी थी यह बात किरण को साफ साफ दिख रही थी. उसने तुरंत डिसाइड किया की वो आज संध्या को लड़की से औरत बनने का खेल बताएगी ताकि संध्या अपनी इस जवानी का आनंद उठा सके.
    किरण- संध्या मेरे पास आ मैं देखती हूँ क्या हुआ है तेरे को
    संध्या- देखो मोम मेरी चुची दबाने पर चूत से लेकर दिमाग़ तक सनसनी की लहर उठ रही है और मन होता है कि….
    किरण- कैसा मन करता है तेरा
    संध्या- कि अपनी चुची खुद ही मसल लूँ और इस निगोडी चूत मे कुच्छ डाल लूँ
    किरण- पता है तुझे ऐसा क्यों होता है
    संध्या- नही मोम
    किरण- क्योंकि तू बड़ी हो गयी है तेरा शरीर मे बदलाव आ रहा है और तू अब बच्ची नही रही अब तू इतनी बड़ी हो गयी है की तू मर्द और औरत के बीच का अंतर समझ सके रुक पहले मैं भी अपने सारे कपड़े नोंच दूं अपने जिस्म से फिर तुझे सब कुच्छ खुल के समझाती हूँ.
    इतना कहके किरण ने भी अपने आप को नंगी कर दिया. अब दोनो रूम मे पूरी तरह मदरजात नंगी खड़ी थी. किरण की चूत मे पानी का प्रवाह देखके संध्या बोल ही पड़ी
    संध्या- मोम आपको भी छूट से पानी का प्रवाह होता है
    किरण- हाँ री आजा तुझे सब कुच्छ बताती हूँ. तुझे औरत और मर्द के रिश्तों का पता है या नही यह बता कोई तेरी सहेली शालिनी, अदिति, रिचा, अवन्तिका, माटी, स्वाती, मुस्कान कोई इस बारे मे बात करती है या नही
    संध्या- कुच्छ ज़्यादा नही मगर ……………..
    किरण- समझ गयी तुझे नालेज तो है पर पूरी नही
    संध्या- कौन बताएगा सब की सब खुद आधा अधूरा ज्ञान लिए रहती है कोई अपनी भाभी से कोई चाची से कोई मामी से कोई मौसी से कोई बुआ से ऐसे ही सब ज्ञानवान बनी फिरती है
    किरण- वास्तव मे इसका ज्ञान का भंडार बहुत बड़ा है सारा मुझे भी नही आता पर तुझे जितना चाहिए वो बता सकती हूँ पुच्छ तू क्या पुच्छना चाहती है
    संध्या ने सोचा की आज उसका काम बन गया आज वो सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा पर उसे थोड़ा धैर्य से काम लेना होगा. जल्दबाज़ी मे हो सकता है मोम उसे बताए ना.
    संध्या- मोम सब, मेरे लिए जो भी ज़रूरी है प्ल्ज़ आप बताओ मैं सब जानना चाहती हूँ
    किरण- संध्या जब कोई लड़की जवान होने लगती है तो उसके जिस्म मे ज़रूरी बदलाव आने लगते है जैसे उसके सीने पर छोटे छोटे संतरों का उगाना उसकी कमर मे बाल आना उसकी चूत पे बाल बढ़ना उसकी आवाज़ मे सेक्सीनेस आना मर्दों का उसके जिस्म को घुरना उसमे शर्म आना उसको यह पता चलता कि वो लड़को से अलग है और अनमोल है
    संध्या- यह सब किस एज से होता है
    किरण- इसकी कोई एज नही है यह 12 से लेकर 16 तक हर लड़की के खानपान और आचार विचार पर निर्भर है कोई लड़की 12 साल मे ही 16 साल का यौवन ले आती है कोई 18 साल तक 12 साल के जिस्म को ओढ़े रहती है
    सांध्य- मोम तुम सबसे अलग और दिलचस्प बाते बता रही हो और बोलो मोम क्या होता है लड़की के साथ और कैसे इसे पचाना या अवॉइड किया जा सकता है अगर कोई नॉनसेन्स सिचुयेशन हो तो
    किरण- मैं यह बताने की कोशिश मे थी की लड़कों के साथ साथ सभी मर्द लड़की के जिस्म को देख के जान जाते है कि वो जवानी की दहलीज़ पर आ चुकी है या नही. वो उनके बिस्तर को गर्म कर सकती है या नही.
    संध्या- यह बिस्तर गर्म करना क्या होता है
    किरण – तुझे सब कुच्छ खुलके बोलना होगा. इसका अर्थ होता है मर्द के द्वारा लड़की को भोगा जाना इसमे वो लड़की की चूत मे लौडा डाल के उसे चोद्ता है और उसको लड़की से औरत बना देता है.जब पहली बार कोई मर्द किसी लड़की को चोद्ता है तो उसे नाथ उतरा कहते है या कौमार्य भंग या प्रथम सहवास.
    संध्या- सब समझ गयी जो तुमने बोला वो भी और जो नही बोला वो भी पर यह बताओ नथ उतरवाई क्यों कहते है इस चोदन क्रिया को

    संध्या-क्या हुआ था किरण मुझे बताओ
    किरण- राजू मुझे अभी भी ऐसा लगता जैसे वो रात मेरे साथ अभी कुच्छ दिन पहले ही गुज़री हो मैं अभी भी उस रात के बारे मे सोच के डर जाती हूँ. वो हादसा नही होता तो मेरी लाइफ ही अलग होती.
    संध्या- बोल ना मेरी जान किरण क्या हुआ था उस डाके मे ऐसा जो तेरी लाइफ बदल गयी और क्या चेंज आए
    किरण- उस रात हमारी हवेली को 20 डाकुओं ने घेर लिया और दनादन फाइरिंग करने लगे. हवेली मे मैं, मेरे हब्बी, मेरे ससुर , मेरी सास और मेरी ननद के अलावा 5-6 नौकर 4 नौकरानिया ही थी.
    डाकुयों ने सभी मेल्स को एक रूम मे और सभी लॅडीस को एक रूम मे बंद कर दिया. सारे नौकर भी इसी तरह अलग अलग रूम मे बंद कर दिए गये. फिर मेरे ससुर से तिजोरी की चाबी माँगी गयी जो उन्होने देने से इनकार कर दिया. अब डाकुयों ने सभी मर्दो की पिटाई शुरू कर दी. बुरी तरह तीनो मर्दों को मारा पीटा गया. ससुर के हाथ पाँव तोड़ दिए देवर की कूल्हे की हड्डी और मेरे हब्बी के कमर के नीचे बहुत मारा. जब मेरे ससुर ने इतने पर भी चाबी नही दी तो उन्होने हम लोगो को रूम से निकाला और कामन रूम की तरफ ले गये और हमारे उपर पाश्विक अत्याचार की चेतावनी दी.
    संध्या- हाए रे तो तेरे ससुर नही माने या टूट गये. आ रानी पहले मेरे को एक चुम्मा तो दे तेरी कहानी मे मस्त मज़ा है और तेरी जवानी मे उससे ज़्यादा नशा है.
    किरण- आजा राजू मेरी चुचि चूस ले और मेरी पनियाई हुई चूत मे अपनी उंगलियाँ डाल
    संध्या- उंगली क्यों मेरी जान जब इतना मोटा लौडा है मेरे पास तो क्यों ना उससे चोद दूं तेरी गीली चूत.
    किरण- हाँ राजू आजा किरण की मस्त चूत मार यह कहानी तो तेरे झड़ने के बाद भी सुना दूँगी आजा मेरी चूत मार
    संध्या- आओ किरण अपने राजू का मस्त लौडा सहलाओ इसका सूपड़ा हटा के इसको मस्त सहलाओ. मेरी जान तू बहुत मस्त है तेरा हब्बी तो तुझे उच्छल उच्छल के चोद्ता होगा है ना
    किरण- राजू आजा तेरी किरण अब चुदासी हो चुकी है मेरे को चोद तुझे मैं वादा करती हूँ जल्दी ही संध्या की भी चूत दिलवा दूँगी. वो कुँवारी कच्ची कली है उसकी नथ उतारने मे तुझे मज़ा आ जाएगा.
    संध्या- हाए किरण मत याद दिला संध्या की चूत की उसे चोद्ने का मन तो मेरे दिमाग़ मे 6 महीने से चल रहा है साली मेरे लौडे के नीचे आती नही सिर्फ़ चुचि को कपड़ों मे छुपाए रहती है मस्त ठोस चुचि है उसे तो कुतिया बनाके चोद्ना है साली की गान्ड भी मारूँगा चूत चुसूंगा और अपना गरम वीर्य पिलऊँगा संध्या नाम की कच्ची कली को
    किरण- राजूऊऊऊ तूने इन सबसे मेरी चूत को बहुत गर्म कर दिया आजा मेरी भट्टी जैसी चूत मार आजा साले मुझे संध्या समझ के चोद दे देख तेरे सामने तेरी संध्या नंगी पड़ी है बिल्कुल मदरजात नंगी और गीली चूत के साथ चोद दे राजू अपनी जवान और चिकनी संध्या को चोद दे.
    संध्या- हाँ रंडी बना दूँगा संध्या को साली गली के हर लौन्डे का लौडा लेगी तभी उसकी चूत मे शांति पड़ा करेगी देखना एक दिन वो अपने बाप से भी चुद जाएगी.
    किरण- राजू मेरी गरम चूत मार इसमे उंगली डाल के ज़ोर से हिला देख तेरी संध्या और किरण दोनो लौडे की डेमांड कर रही है बता तू पहले किसे चोदेगा
    संध्या – किरण को मेरी जान क्योंकि वो ही संध्या की गद्देदार चूत दिलवाएगी और मस्त मज़ा देगी अपनी गान्ड का
    किरण- आजा राजू अपनी किरण पे चढ़ जा और उसे चोद के आआआआआआआआआआआआआआआआआआ आआअहहाआआआआआअहहाआआआआआ और डाल राजू अपने लौडे को और डाल
    इधर संध्या ने किरण मे मोटी उंगली पेल के हिलना शुरू किया किरण को ऐसा लगा की कोई लौडा उसकी सेवा कर रहा है. वो गरमा के ससकरी मारने लगी और कमर हिलाने लगी.
    किरण- हाँ राजू और डाल तेरा लौडा मेरे हब्बी से मोटा है मार साले किरण की गरम चट और मार
    संध्या ने अपनी उंगली चोदने की स्पीड और बड़ा दी और उधर किरण ने अपनी कमर नचा नचा ने झड़ना शुरू कर दिया
    संध्या ने झुक के किरण की चूत से मूह लगा दिया और किरण की चूत का मीठा मूत पीने लगी. किरण ने भी संध्या के मूह से अपनी चूत सताए रखी और सारा सरबत संध्या के मूह मे उडेल दिया. जब किरण की अपनी वासना का भूत कुच्छ कम हुआ तो उसने आगे बढ़ के संध्या के नरम उरोज मुट्ठी मे भीच लिए.
    संध्या- हाए साली धीरे मसल पहले भी बोला था
    किरण- तो मैने भी कहा था ना की कोई भी मर्द तुझे नंगी करेगा तो प्यार से नही मस्त ज़ोर लगा के इतने करारे माल को चोदेगा तू इसकी आदत डाल और बता डाकुओं की बात सुननी है या तेरी चूत का बुखार उतार दूं.
    संध्या- पहले डाके वाली बात बताओ मेरी चूत का पानी तो फिर भी बह जाएगा

    किरण- तो सुन उस डाके मे मुझे और तेरी बुआ रागिनी को कामन रूम की तरफ लाया गया. वहाँ तेरे डैड, दादा और चाचा पहले से ही पीट कर कुर्सी से बाँधे गये थे. डाकुओं के सरदार ने दादा जी से फिर पूछा की तिजोरी की चाबी दे दे नही तो आगे की उनकी कोई ज़िम्मेदारी नही. पर उन्होने बात नही मानी और कहा की जो मर्ज़ी वो किया जाए पर चाबी नही दी जाएगी क्योंकि उसमे गाव के किसानो की ज़मीन के कर्ज़े के कागज भी थे अगर वो लूट लिए जाते तो हम लोग एक रात मे ही आसमान से सड़क पर आ जाते. उपर से दादा जी ने सोचा की वो लोग झूठी धमकी दे रहे है शायद ज़्यादा कुच्छ ना करे और हम लोगो को ही लूटपाट के लौट जाएँगे. इधर डाकुओं के सरदार ने मुझे और तेरी बुआ रागिनी को कामन रूम से ले जा के मेरे बेड रूम मे भिजवा दिया और खुद भी वहाँ आ गया. अब हम दोनो समझ गयी की हमारी शामत आ गयी पर किस हद तक हम दोनो समझ नही पा रही थी. तेरी बुआ अभी कुँवारी और अनच्छुई थी 18 साल की ही तो थी और मैं नयी नवेली दुल्हन मेरी उमर भी 18 साल 6 माह ही थी. कहने का मतलब है एक नज़र मे हम दोनो जुड़वा लगती थी एज और लुक्स मे.
    कई बार तेरे डैड इस बात को बोल चुके है की मेरा लुक तेरी बुआ सा है और उनको ऐसा लगता है वो अपनी सग़ी बहन की चूत मार रहे है. इस फॅंटेसी से उनके लंड मे मस्त तनाव आ जाता है और वो मुझे बहुत मस्ती के साथ चोद्ते है.
    संध्या- तो डैड आपको रागिनी बनाके चोद्ते है.
    किरण- हाँ और रागिनी यह जानती है वो इस बात से खुद भी एक्साइटेड है की उसका सगा भाई उसकी चूत का दीवाना बनके अपनी बीवी चोद्ता है.
    संध्या- यह बात मानी कि हर कोई मर्द फॅंटेसी मे दूसरे माल पर हाथ साफ करता है पर क्या कोई औरत खुद दूसरी औरत या लड़की बनके अपने पति से चुद सकती है
    किरण- नही ऐसा नही होता क्योंकि किसी भी औरत को अपना मर्द शेयर करना पड़े तो वो करेगी पर खुद दूसरी औरत या लड़की बनके अपने ही पति से नही चुदेगि.
    संध्या- पर ऐसी एक औरत है मेरी निगाह मे
    किरण- कौन है मुझे बताओ तुम किसकी जानती हो
    संध्या ने नंगी किरण की चुची दबोच ली और बोली-
    संध्या- वो तुम हो मोम
    किरण- तुझे कैसे मालूम
    संध्या- मैने कल दिन मे अपने कानो से सुना और फिर देखा भी है कि तुम डैड को स्वाती बनके मज़ा दे रही थी उनका लौडा चूस रही थी उनके लौडे से चुद भी रही थी और बार बार स्वाती की कच्ची चूत को डैड को परोस रही थी
    किरण- इस बात को तूने किसी को बताया तो नही ना
    संध्या- नही मोम पर इस बात का राज़ तो बताओ

    किरण- यह बात उस डाके से ताल्लुक रखती है, उस डाके मे डाकुयों का सरदार मुझे और रागिनी को मेरे बेडरूम की ओर ले गया और वहाँ क्या हुआ तू इसे सरदार और मेरे बीच के वार्तालाप के रूप मे सुन
    सरदार- ये लड़कियों तुम लोग कौन हो बताओ पहले
    किरण- हम मे एक यहाँ की बहू है और दूसरी इस हवेली की बेटी
    सरदार- वाह तब तो मज़ा आ गया आज तिजोरी की चाबी नही मिलेगी तो इस हवेली की बेटी की निजी तिजोरी खोल दूँगा हा हा हा
    किरण- क्या बकवास कर रहे हो जानते हो क्या कह रहे हो
    सरदार- मुझे सब पता है तू कौन है
    किरण- मैं रागिनी हूँ इस हवेली की बेटी ऊवार यह किरण है हवेली की बहू
    सरदार- ओहो तभी चिड़िया इतना उड़ रही है लगता है तेरे पर काटें पड़ेंगे (पास आके रागिनी बनी किरण की एक चुचि ज़ोर से हथेली मे दबोच लेता है) तेरे दोनो कबूतर बड़े मस्त है बता किसी शिकारी ने इनको मुठ्ठी मे क़ैद किया है इनको या मैं तेरा पहला शिकारी हूँ
    किरण-(तिलमिलाके) छ्चोड़ मुझे हरामी मेरे डैड को पता लगेगा तो तेरी बोटी बोटी काट देंगे
    सरदार- अभी बताता हूँ तुझे मुझसे बदजुबानी का क्या परिणाम होता है. तेरा बाप मुझे क्या बोलेगा साले की हड्डी पसली तोड़ दी है अभी एक गोली मारूँगा साला उपर पहुँच जाएगा हरामी बुढ्ढा
    किरण ने रागिनी की ओर देखा जो हैरत मे भी थी की किरण ने उसका रूप क्यों बदला और सरदार की धमकी सुनके उसने किरण से याचना सी भी कि की वो सरदार को गुस्सा नही दिलाए. किरण ने तुरंत डिसीजन लिया की उसे क्या करना है.
    किरण- अरे बाबा नही नही आप ऐसा नही करो आप जो बोलॉगे वो मैं करूँगी आप मेरे डैड को कुच्छ मत करिएगा प्लज़्ज़्ज़
    सरदार- अब आई ना कुतिया लाइन पे चल जो मैं बोलता हूँ वो कर
    किरण- ठीक है
    सरदार- तू अपने कपड़े उतार के अपनी नंगी मस्त जवानी के दर्शन करा अपने चंदर को
    किरण- चंदर
    सरदार- हाँ मेरा नाम चंदर है और मैं अब तेरी नंगी कामुक जवानी को देखूँगा पहले यह बता कितने मर्द तुझे दबोच चुके है
    किरण- कोई नही
    सरदार- (आगे बढ़े उसकी चची पर झपट्टा मरता है और ज़ोर से मसल देता है) हाए रे मस्त उन्छुइ चुची है हाए मर गया आज तो इन नीम्बुओं को पूरा निचोड़ दूँगा. ऐसे नही छ्चोड़ूँगा तू तो चुद गई आज मेरी रागिनी. तेरी चूत अपने मूसल लंड से चोदुन्गा और तेरी भाभी तुझे खुद आगे बढ़ बढ़ के चुद्वायेगि. है ना
    रागिनी- (हड़बड़ा के) हाँ हाँ हाँ
    चंदर- तो रुकी क्यों है वहाँ पे साली इधर आ और इस हरमजादि रागिनी के कपड़े उतार
    (रागिनी और किरण दोनो सलवार सूट मे थी और किरण ने कोई सुहाग निशानी नही पहनी थी इसलिए सरदार को धोका हो गया साथ ही साथ किरण को भी उससे झूठ बोलने का मौका मिला. पर रागिनी ज़रूर सोच रही थी की किरण ऐसा क्यों कर रही है उससे पूछेगी फिलहाल तो यह डाकू उन दोनो का पिछा छ्चोड़े. साथ ही साथ वो डर भी रही थी सरदार डाकू उसे हवेली की भाभी समझ के ज़्यादा यातना ना दे. खैर उसने सोचा जो होगा देखा जाएगा आख़िर वो इस नये हालत मे कुच्छ कर भी तो नही सकती थी.उसने आगे बढ़के किरण के जिस्म से उसका कुर्ता उतारना शुरू किया)
    चंदर- ई हरामज़ादी ऐसे नही इस कुतिया के कपड़े फाड़ के उतार नही तो तेरे कपड़े फाड़ के नंगी कर दूँगा
    (रागिनी से सहम के किरण के कुर्ते को फाड़ के उतारना शुरू किया. किरण का जवान जिस्म चंदर के आगे नुमाया होने लगा चंदर की आँखे किरण की जवानी फैल गयी)
    चंदर- वववववववओूऊऊऊऊऊव्ववववववववववव यह कुतिया बड़ी करारी है इसे मेरे पास भेज साली के कबूतरो का नज़ारा पास से करूँगा
    रागिनी- नही इसे छोड़ दो तुम चाहो तो मैं
    चंदर- चुप साली रंडी खुद तो दिन रत चुद्ती है अपने ख़सम से और आज तेरी ननद का नंबर आया तो आज भी अपनी ही चूत सामने फैला रही रही है. भेज इस कॅली को मेरे पास
    रागिनी- जाओ सरदार के पास जाओ रागिनी
    किरण धीमे धीमे कदमो से आगे बढ़ी और सरदार के पास जाके खड़ी हो गयी.चंदर ने आगे हाथ बढ़ा के किरण की दोनो चुची अपने खुरदुरे हाथों मे दबोच ली. चुचियों पर हाथों का दबाव पड़ते ही किरण की चूत ने पानी छोड़ दिया और उसके मूह से सिसकी निकल पड़ी

    चंदर – वाआआअह रे इस मस्त कली के मुह से तो मेरे हाथो से ही कामुक सिसकारी निकल पड़ी लगता है कि साली मस्त है. जब गर्मागर्म लौडा इसकी गीली पानी से भरी चूत में उतारूंगा तो साली कुतिया की तरह चुद पड़ेगी आओ मेरी जान और पास आओ तेरे दोनों कबूतरों को आसमान की सैर करवा दूँ.

    इतना बोल के चंदर ने किरण के दोनों पहाड़ की नोक जैसे उठे हुए कबूतरों को अपनी खुरदुरी मुठ्ठी में दबोच के लिया और कबूतर उड़ने के अंदाज़ में बेदर्दी से हवा की ऒर उड़ा दिया और रागिनी की तरफ देख के बोला

    चंदर- देख मेरी जान तेरी ननद लौडे को लेने को कितनी उतावली हो रही है। एक तू हैं कुतिया की औलाद

    रागिनी – क्याआआआआआअ

    चंदर- हरामजादी बकरी की तरह मत मिमिया, नहीं तो अभी तेरे को पहले नंगी करके तेरी चूत में अपना मुसल लंड पेलूँगा फिर तेरी ननद को चोदुंगा. साली तेरी ननद मस्त नंगी होकर देखेगी कि उसकी जवान और चुदासी भाभी कैसे लौडा लेती है अपनी पनियाई हुई चूत में. बोले तो तुझे चोद के मस्त नज़ारा दिखाऊँ तेरी कामुक अनचुदी ननद को.

    रागिनी के शरीर में झुरझुरी दौड़ जाती है वो समझ नहीं पाती है की वो सरदार के आगे आके चुदे या किरण को चुदाई का आनंद लेने दे. उसका खुद का शरीर जवान और चुदासा हो चुका था और रात दिन मर्द की मांग करता था. वो खुद यह चाहती थी की कोई उसे चोदे और उसकी चूत की प्यास बुझा दे पर वो गाँव में बदनाम नहीं होना चाहती थी. उसे लगा की यह अच्छा मौका है. सरदार उसे बहु मान कर चोदेगा और वो खुद भी अब अनचुदी नहीं रहना चाहती थी।

    रागिनी- नहीं सरदार मैं यह कहना चाहती थी तुम भले ही मुझे चोद लो पर इसे छोड़ दो यह इस हवेली की बेटी है मैं इसके बदले में खुद उछल उछला के अपनी चूत मरवाने को तैयार हूँ।

    सरदार- चुप मादरचोद तू खुद भी उछल उछल के चूत मरवाएगी और यह कुतिया भी. एक बात बता तू मुझे की जब रसगुल्ला पास हो तो कोई जलेबी ही खता है क्या

    रागिनी – क्या मतलब

    चंदर- साली तू चुदी चुदाई और यह नयी निकोर अनकट चूत तू जो मर्ज़ी कह ले इसे आज मेरा मस्त लोडा अपनी चिकनी संकरी चूत मे डालना ही होगा और हाँ तू फिकर मत कर जाते जाते तेरी भी रसीली चूत का स्वाद ले के जाऊंगा और अपने साथियों को भी तेरे उपर से उतारूँगा. वो भी तो देखे कि तेरी चूत मे मज़ा है या तेरी ननद की चूत मे ज़्यादा मज़ा है.

    (रागिनी के मन मे लड्डू फूटने लगे और उधर किरण ने सोचा की जब दोनो ही चुदनी थी तो उसने बेकार ही रागिनी का रूप धारण किया पर अब जो होना था हो चुका था अब इसी में भलाई थी कि वो चुपचाप रागिनी का रोल प्ले करती रहे और रागिनी उसका रूप धारण करे रहे)

    रागिनी- चंदर क्या ऐसा हो सकता है की तू इसे छोड़ दे और अपना सारा गुस्सा मुझ पे उतार ले

    (किरण की आँखें फट गयी जब उसने सुना की रागिनी डाकुयों के सरदार से चुदना चाहती है और उसे पता था की उसकी अनचुदी ननद सरदार और उसके साथियों से चुद तो सकती है परंतु पहली पहली बार ही किसी कमसिन लौंडिया पर अगर 20 मर्द चढ़ जाएँगे तो वो मर भी सकती है शायद रागिनी को यह लग रहा था की सिर्फ़ सरदार उसे चोदेगा और बाकी डाकू नही)

    चंदर- ऐसा तो नही होने दूँगा तू हवेली की बहू है अगर इस हवेली की बेटी होती तो शायद अपने सभी साथियों का वीर्य पात तेरे उपर करवाता. तू फिकर मत कर मेरे साथी तेरी हवेली की नौकरानियों को चोद रहे होंगे. तुम दोनो मेरे लंड का स्वाद लेने को तय्यार हो जाओ. ज़्यादा अकड़ दिखाई तो तुम दोनो के उपर अपने बीसियो साथी नंगे करके छोड़ दूँगा सुबह तक चुद चुद के मर जाओगी

    रागिनी सिहर गयी और किरण ने चंदर के आगे आकर उसका हाथ पकड़ कर अपनी चूत पे रख दिया

    किरण- क्या राजा मर्द होके सिर्फ़ बाते. आओ मेरी जवानी को नंगा करो और मज़े लो

    चंदर- हाँ कुटिया भूल गया तू इस हवेली की अनचुदी चूत है आ मेरे लंड को बाहर निकल के सहला
    किरण- हाँ मेरे राजा आओ मैं अपने नरम होंठो से तुम्हारे लंड को चूम लेती हूँ

    चंदर- चूमना ही नही साली चूसना भी है. तेरा भाई जब तेरी भाभी को चोदता तो तू क्या उसके बेडरूम के बाहर छुप छुप के उनकी मादक और कामुक कामलीला नही सुनती है क्या यह तो हवेलियों मे अक्सर होता है की रूम मे चुदाई हो रही होती है और बहरा नौकर, नौकराई या बेटियाँ चुदाई का लाइव शो सुनती है मौका मिले तो देखती भी है

    किरण- देखा और सुना दोनो है राजा तभी तो इतनी गरम हूँ की तुझसे बिना चूं चपड किए चुदने को तय्यार हूँ आओ राजा रागिनी की गीली पानी से भारी चूत मरो मेरे पहले मर्द.

    चंदर – बता तेरा मन करता है अपने भाई का लंड लेने का जो वो तेरी भाभी की गीली चूत मे डालता है और कैसा चोदता है इस रंडी को तेरा भाई

    किरण- हाए रे तूने मेरी चूत पूरी पानी से लबालब भर दी. मत पूछ क्या करता है वो सच बोलू तो तू अभी खड़े खड़े वीर्य निकाल डालेगा

    (किरण के लिए चुदाई की बाते खेल था क्योंकि वो ही तो चुदती थी यहाँ. वो सिर्फ़ रागिनी का रोल प्ले कर रही थी इसलिए उसने वल्गर शब्दो का प्रयोग करना शुरू किया. क्योंकि उसने सरदार के लंड की उत्तेजना देख ली थी उसने सोचा की जितना जल्दी झाड़ेगा उतनी जल्दी वो यहाँ से चला जाएगा)

    चंदर- खुल के बता साली. देख तेरी भाभी की चूत मे पानी भर आया है चलो पहले दोनो रंडी लोग पूरी नंगी हो जाओ फिर तू बताना तेरा भाई तेरी इस भाभी की चूत कैसे मरता है. आओ पहले मुझे पूरा नंगा करो और मेरे लंड से खेलते हुए अपनी मादक चुदाई का किस्सा सुनाओ.

    किरण अब तक पूरी नंगी हो चुकी थी उसने आगे बड़ के सरदार की जांघों पर अपनी चूत रगड़नी शुरू
    कर दी और अपनी मस्त गोल और ठोस छतियाँ सरदार के सीने से रगड़ने लगी

    किरण- चंदर बहुत मस्त लंड है तू आआआआआअहह प्लीज मेरी चूत की गर्मी शांत कर दे फिर बताती हूँ की मेरा भाई कैसे मेरी भाभी की चूत की गर्मी उतरता है.

    चंदर- आजा साली कुतिया मेरा लोडा पैंट से बाहर निकाल और उसे सहला के मस्त कर तेरी भाभी की चूत मरने के लिए
    किरण- राजा फिर मेरी चूत को क्या प्यासा छोड़ देगा
    चंदर- नही मेरी जान तेरी चूत पर तो मैं अपनी सारी फौज छोडूंगा. मेरे सारे साथी तेरी चूत का रास्पान करेंगे और तुझे जी भर के चोदेंगे
    रागिनी यह सुनके सिहर गयी की उसकी भाभी को 20 डाकू चोदेंगे और वो समझ गयी की किरण की चूत का बुरा हाल हो जाएगा पर अब कुछ नही हो सकता था दोनो इस खेल मे इतनी दूर तक आ गयी थी की अब सच्चाई पता लगती तो डाकू का सरदार उन दोनो की चूतों का भुर्ता बना देता, अपने साथियों के साथ उन दोनो की भयानक चुदाई करके.
    चंदर- तू एक बात और जान ले मेरी रंडी
    किरण- क्या बोलो ना मेरे मर्द राजा
    चंदर- तेरी यह चुदाई बड़ी अनोखी और अजब होगी
    किरण- कैसे भला
    चंदर- तू देखती जा पहले बता तेरा भाई तेरी इस मादक चुदासी भाभी को कैसे चोदता है
    किरण- हाए राजा एक रात मैं उन दोनो के बेडरूम के बाहर खड़ी थी और वो दोनो एक हफ्ते की जुदाई के बाद वासना का मिलन करने वाले थे मुझे पता था की आज इस हवेली की बहू की चूत हवेली का लंड चोड़ेगा ले तू उस मादक चुदाई को मेरे मूह से सुन
    किशोर- हाए रानी बड़ी मस्त लग रही है
    किरण- हाँ राजा आज दोपहर से चूत मे पानी भरा हुआ है और इतनी रात गये तेरा लंड लेने का मौका आया है
    किशोर- क्या करूँ सब लोग बाहर बैठे टीवी देख रहे थे किसी को यह भी ध्यान नही की एक हफ्ते के तौर से लौटा हूँ मेरा लंड और तेरी चूत दोनो प्यासी होगी
    किरण- तुनमे दोपहर मे फोन पर जब मेरी चूत चूमि थी तभी से इस साली मे पानी भरा है आओ इसे चूस और मस्त चुदाई करके इसका मान मर्दन कर दो
    किशोर- ऐसे कैसे पहले मैं अपनी मादक किरण को पूरी तरह न्नगी करूँगा उसकी ठोस चुचियाँ मसलूँगा फिर उसकी चूत का नंबर आएगा वो भी तब जब वो मचल के मेरे मस्त ताने हुए लोडे को चुसेगी और उसका मीठा वीर्या पिएगी
    किरण- आओ मेरे मर्द तेरे लोडे को चूस के तेरे लंड का अपनी चूत के द्वार पर स्वागत करूँगी
    किशोर- किरण एक और मस्त कामुक इच्छा है जो तू पूरी कर दे
    किरण- कौन सी
    किशोर- आज तू अपनी गांड का स्वाद देदे
    किरण- कोई बात नही मेरे राजा मेरी चूत चोदने के बाद तू मेरी गांड का द्वार अपने लंड से खोल लेना
    किशोर- Thankyou किरण आओ मैं तुझे अपने लोडे की सैर करवाता हूँ
    किरण- हाए रीईईईईई धीरे मस्लो मेरी चुचियों को
    किशोर- साली सिसकार मार फोन पे तो ऐसे कर रही थी जैसे कोई तेरा यार तेरी चूत मार रह हो और मुझे अपनी आवाज़े सुना रही थी
    किरण- वो तो मैं मज़ाक कर रही थी और तुझे पता है की इस हवेली मे कोई लोडा मुझे चोदने नही आ सकता है.
    किशोर- वो तो मुझे पता है पर तू एक बात बता
    किरण- क्या
    किशोर- यहाँ हवेली की कौन सी नौकरानी तुझे पसंद आई
    किरण- सभी ठीक है मेरी खूब सेवा करती है
    किशोर- साली सेवा के लिए नही चूत मरवाने के लिए पुच्छ रहा हूँ कौन सी हरमज़ड़ी तुझे पसंद है बता उसे आज बुला लूँगा तेरी चूत मालिश को
    किरण- हाए रे क्या ऐसा हो सकता है
    किशोर- क्यों नही साली सभी इस हवेली की जिंदगी भर की गुलाम है तू बोल तो सही तेरे साथ साथ वो मेरे लोडे की भी सेवा ना करे तो मेरा नाम किशोर नही
    किरण- वो है ना अपने नौकर सरवन की जोरू
    किशोर- ओह वो ऋतु तू भी ना साली माल तो तगड़ा चुना तूने
    किरण- क्या ऐसा हो पाएगा की ऋतु मेरी सेवा करे और हम दोनो को रति सुख प्रदान करे
    किशोर- हाँ क्यों नही मेरी जान तू देखती जा
    किरण- ऋतु किसी को बोल तो नही देगी अपने पति को या हमारे पिताजी को

    किशोर- नही तू चिंता मत कर और आज तू ऋतु से रतिसुख की कल्पना को साकार होते देख देखना मैं भी क्या हाल करता हूँ साली ऋतु का ना न्नगी करके कुतिया की तरह उपभोग किया. साली को रंडी बना दूँगा रातों की रंडी. देखना दिन मे सरवन की बीवी और रात मे तेरी और मेरी पर्सनल दासी बनके रहेगी

    किशोर ने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और सरवन का नंबर डाइयल किया
    किशोर- सरवन कहाँ है तू रे
    सरवन- याहूं घर मे मलिक हुकुम करो क्या सेवा करूँ
    किशोर- तेरी बीवी वो कहाँ है
    सरवन- यहीं मेरे पास ही
    किशोर- एक कम करो तुम दोनो तुरंत मेरे पास आओ और एक बात बतो, पिताजी या छ्होटे ने तो कोई आदेश तो नही दिया
    सरवन- नही मलिक
    किशोर- तो तुम दोनो तुरंत हमारे रूम पर आओ तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ मई और अपनी जोरू को साथ लेके आना छ्होटी मालकिन बुला रही है उसे.
    सरवन- अभी हाज़िर हुआ मलिक
    किशोर- देखा अभी आएगा सला अपनी करारी जोरू के साथ फिर हम दोनो उसकी बीवी का मज़ा लूटेंगे
    किरण- क्या सच मे ऐसा होगा और सरवन होने देगा
    किशोर- देखती जाओ जान सला खुद अपने हाथों से ऋतु की चूत हो चौड़ा करके मेरे लोडे के आयेज लाके ना बोले मलिक इसे चोद दो तो मेरा नाम बदल देना
    किरण- वाउ क्या ऐसा होगा
    किशोर- हाँ पर जो मैं बोलू वो करती जाना
    तभी सरवन अपनी बीवी ऋतु के साथ रूम मे आता है
    सरवन- मलिक आपने याद किया
    किशोर- हाँ रे मुझे और मालकिन के शायर मे दर्द हो रहा है ज़रा हमारी मालिश कर्दे
    सरवन – अभी लो मलिक मैं आपकी और यह ऋतु मालकिन की मालिश करके आप डोड़नो के शरीर को ताज़गी से भर देंगे
    इतना बोलके सरवन ने ऋतु को देखा. उसने हामी मे सिर हिलाया. इधर किशोर और किरण दोनो कॉन्फोर्ट कपड़ो मे थे किरण ने निघट्य डाली हुई थी तो किशोर लूँगी मे था सरवन ने टेबल से तेल की शीशी उतही और ऋतु को पकड़ते हुए बोला
    सरवन- ले ऋतु तू मालकिन की टाँगों की मालिश कर्दे और मैं मलिक के पैर अबता हूँ फिर मालिश करूँगा
    किशोर- आओ दोनो लोग यहाँ बेड के उपर आके करो
    सरवन और ऋतु बेड पर चाड जाते है और किशोर और किरण की मालिश का डुआर शुरू होता है ऋतु ने किरण की निघट्य घउटें तक उपर कर दी और तेल लगाने लगी और इधर किशोर ने भी लूँगी घुटने तक उठा दी दोनो थोड़ी देर तो मालिश करते रहे फिर किशोर बोल उठा
    किशोर- सरवन आजा पूरे शरीर की मालिश कर दे देखक कई दिन से लौटा हूँ पूरा शरीर दर्द करता है यही हाल तेरी मालकिन का है
    इतना कहके उसने अपनी लूँगी उतार दी उसके नीचे उसने पारदर्शी ब्रीफ पहना हुआ था उस ब्रीफ के अंदर उसके मान की भावना का उद्गार उसका लिंग अरधरप से कहदा हुआ था. इधर किरण ने भी किशोर की देखा देखी अपनी नाइट उतार दी वो सिर्फ़ पर्धारषी ब्रा और पनटी मे थी. दोनो नौकर और नौकरानी समझ गये उन्हे क्या करना है
    सरवन- मलिक आआआप्प्प्प्प्प अगली मालिश मुझ से नही मेरी इस हरमिण जोरू ऋतु से कारवओ तो ज़्यादा आनंद आएगा साली मालिश ऐसी करती है की मलिक को नशा आ जाएगा क्योंकि यह हरमज़ड़ी मालिकों की सेवा बचपन से ही करती आ रही है इसकी नाथ बड़े मलिक ने ही उतरी है
    किशोर – आआअजाआ ऋतु तू आके मेरी तेल मालिश कर और सरवन मालकिन की सेवा करेगा
    इधर सरवन ने तेल मे हाथ डुबोय और किरण की जांघों पर हाथ फेरने लगा. किरण के शरीर मे झुरजुरी दौड़ गयी उसे एक कामुक अहसास होने लगा उसे ऐसा लगा की उसकी टाँगों पर साँप रेंग रहा हो और वो साँप उसकी गीली चूत की ऊवार बढ़ रहा हो. इधर किशोर के लिए ऋतु मुस्कुराती हुई बढ़ी और बोली
    ऋतु- आओ मलिक मैं आपके मान की इच्छयों को चार चाँद लगा दूं आइए मलिक आप मालकिन को भोगने के लिए पूरी तरह से टायर हो जाइए
    किशोर- आ ऋतु पहले मेरे बदन का दर्द दूर कर फिर मैं तेरी मालकिन को चोद के उसकी प्यास भुजौंगा
    ऋतु- मलिक आइए मैं आपकी टाँगों की तेल मालिश कर देती हूँ
    ऋतु ने तेल मे हाथ डुबो कर किशोर की झंघों पर फेरा तो उसका लंड फड़फदा उठा उसने आयेज बढ़ के ऋतु के मस्त चुचे पकड़ लिए.
    किशोर- साली तू अभी जवान कुतिया है आज तेरी मालकिन के साथ तेरी चूत का भी रस पीना पड़ेगा

    ऋतु- मलिक यह मेरा सायभाग्या होगा जो आप मुझ पर सवारी करेंगे. आप जैसा बोलेंगे मैं करती जाओंगी

    किशोर- आओ ऋतु मेरे लोडा को इसकी क़ैद से बाहर निकालो देखो तेरे मस्त नरम हाथों मे आने को कैसे मचल रहा है
    ऋतु- हाँ मलिक अभी इस तोते को मैना के लिए तय्यार कर देती हूँ
    किशोर- साली इस तोते के होंठ चूम कुतिया
    ऋतु ने आयेज बढ़के किशोर का ब्रीफ उतरा और ताने हुए लोडे का सूपड़ा अपने होंठ से लगा लिया
    किशोर- साली मदारचोद इस लोडे को पूरा अंदर तक धकेल के चूस जैसे तू मेरे बाप का लोडा चुस्ती है और अपने हाथों से मेरे आंडों से खेल अगर लोडे के तनाव मे कमी आई तो तेरी चूत मे जलती सिग्रते घसेद दूँगा महीनो तक कोई भी लंड नही ले पाएगी
    ऋतु ने अपने मुँह को तेज़ी से लोडे पर चलन शुरू किया और हाथों से किशोर के आंडों को सहलाने और मसालने लगी यह देख के किरण की आँखें चौड़ी हो गयी उसे इस हवेली मे आए 15 दिन ही तो हुए थे यहाँ यह खेल भी हॉट आहिया उसे विश्वास नही हुआ. इधर सरवन ने उसकी झंघों पर हाथ फिरा फिरा के उसकी चूत को पानी से लबालब भर दिया वो अपने शरीर को ऐतने लगी तो किशोर बोल उठा
    किशोर- सरवन हटा ना अपनी मालकिन की चड्धि देख कितना पनिया गयी है इसकी चूत और ऋतु तू साली क्या कपड़ो मे रहेगी इधर आ तेरे जिस्म से कपड़े नोंछता हूँ
    इतना कहके किशोर ने ऋतु को अपने पास खींच लिया और उसकी कुरती को फाड़ने लगा उसने वाकई मे ऋतु की कुरती फादा और पेटीकोआट का नडा तोड़ दिया दोनो कपड़े ुआरते ही मस्त चुदसी ऋतु सिफ एक नर्माल कच्ची मे किशोर के सामने काहदी थी उसने ब्रा नही पहनी थी लेकिन साली के मस्त टन चुचे यह एहसास दिला रहे थे की ऋतु एक जवान कुतिया है जो उसका मज़ा लूटेगा वो कॉलेज गर्ल की कमसिन जवानी भी भूल जाएगा साली के जिस्म पर एक भी बाल नही थे और बदन मे चिकनाहट बहुत थी
    किशोर- ऋतु तू अभी भी उतनी ही चिकनी है जितनी पन्नच साल पहले जब मेरे बाप ने पहली बार तेरी चूत मारी थी और तू उस समय कितने साल की थी
    ऋतु- मलिक उसी दिन 18 साल की हुई थी बड़े मलिक ने जवानी मे पैर रखते ही चोद दिया था उस रत की याद मत दिलाओ आज भी चूत पानी से भर उठती है
    किशोर- ई ऋतु अपनी नयी मालकिन के लिए बता ना तेरी नयी निकोर चूत को कैसे मर्द के लौदे का स्वाद चखया गया कुआ हुआ था उस रात जब तेरी नरम और चुकनी चूत मेपहली पहली बार लौदा उतरा गया
    ऋतु- बिल्कुल मलिक आइए आपका लोडा चूस्ते हुए अपनी पहली चुदाई की दास्तान बताती हूँ की किस किसने उस रात मेरी नयी निकोर चूत का रस पिया और किस किस तरह से मेरे कामुक बदन का स्वाद लिया
    किरण- क्या मतलब है तेरा
    ऋतु- मालकिन उस रात मेरी चुदाई नही जी भर के लुटाई हुई थी मैं इस हवेली की एकमत्रा जवान कुँवारी नौकरानी थी उस रात बड़े मलिक और उनके दोस्त ने मेरे जिस्म से हर वो खेल खेला जिसकी वो कल्पना करते थे और मुझे जी भर के उपयोग किया हर कामुक और विक्रत तमन्ना पूरी की क्या आप सुनना चाहोगी
    किशोर- यह ना भी करे तो सुना साली हरमज़ड़ी मेरी दासी होके चाय्स पूछती है कुतिया साली घोड़ी बनके चोड़ूँगा तब लओुदा भी गांड मे लेगी और कहानी भी सुनयगी सुना मदाचोद जाबमेरा मन्हाई तो उस रात की हर बात बता हम हवेली के मलिक है जिस भी नौकरी को चाहे जैसे मर्ज़ी चोद या छुड़वा सकते है समझ गयी ना तू या तुझे अपने अंदाज मे समझाओ डालु डंडा तेरी गांड मे
    ऋतु- मलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीइीिकककककककक अभी बताती हूँ आप मुझे माफ़ करो प्ल्ज़
    किशोर- अब आई ना साली लाइन पे ई सरवन आ इस रंडी की चूत को अपने हाथ से फैला के मेरे लोडे को पकड़ के उस पे रख के बोल लो मलिक मेरी जोरू की चूत मरो आज इसकी यही सज़ा है की इसका खुद का मर्द इसकी चूत को दूसरे लोडे से चुडवाए तब इस कुतिया की औलाद को पता चलेगा की हवेली के मर्दो की बात अनसुना करने का अंजाम क्या होता है
    सरवन- ठीक है मलिक
    सरवन आयेज बढ़के एक हाथ से ऋतु की चूत के दरवाजे खोलता है और दूसरे हाथ सेकिशोर का लोडा पकड़ के उसका सूपड़ा पिच्चे खींच के उसे ऋतु की चूत के मूह पे रखके बोलता है
    सरवन- आओ मलिक ऋतु की गरम गर्म चूत मे अपना मस्त लोडा डालो मेरी मलिक और इसे चोद डालो
    किशोर ऋतु की चूत पे लोडा च्छुवता है और फिर लोडे को अंदर ना डालके हटा लेता है
    किशोर- चल आख़िरी बार माफ़ किया अगली बार हमारी इच्छा के खिलाफ गयी तो इससे बुरी सज़ा दूँगा
    ऋतु किशोर के लंड को हाथों से मसलते हुए
    ऋतु- आपका एहसान नही भूलूंगी मलिक आप मुझे मेरे मर्द के सामने चोद के जिंदगी भर के लिए हम दोनो को जलील कर सकते थे पर आपने ऐसा नही किया आपका बहुत बहुत धन्यवाद मलिक मैं मालकिन और आप सबको अपनी पहली ठुकाई की दास्तान सुनती

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